मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

ब्रिज्मंडल की गोशालाओं को खुला पत्र



प्रिय गोसेवक भ्राताओं

जय गोमाता



गोरक्षा कार्य में भाषण, विधि विधान क्षेत्रों में करोडों रूपया दान देकर गोशालाओं का निर्माण और सञ्चालन भारतवर्ष के कोने कोने में देखा जा सकता है। लेकिन हमारा दुर्भाग्य है की यह सभी उपाय कार्य पुरा नही कर पा रहे हैं। आज गोरक्षा का सबसे बड़ा दुश्मन आर्थिक कारण है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ यह गोवंश आज बेसहाय कहलाता है



रास्ट्रीय स्वयसेवकसंघ के रास्ट्रीय गोरक्षाप्रमुख आज के संत माननीय श्री ओमप्रकाश जी ने एक नया सोच दिया।

गाय ग्वाले के घर पर बंधती है और अगर उसे पालने के लिए प्राप्त राशिः गवाले को मिलने लग जाए तो वोह गोवंश को अपनी बहुमूल्य सम्पति की तरह संभाल कर रखेगा॥ यह राशिः उसे गोबर और गोमूत्र द्वारा प्राप्त हो सकती है। साथिओं एक गोवंश प्रतिदिन लगभग १० किलो गोबर और ७ लिटर गोमूत्र प्रदान करता है। पुरे देश के सन्दर्भ में यह लगभग १०० करोड़ टन गोबर और ७० करोड़ किलो लिटर गोमूत्र प्रदान करता है।



अगर गोबर रूपये २/- प्रति किलो और गोमूत्र रुपया ५ प्रति लिटर खरीदना चालू हो जाए तो प्रति गोवंश ग्वाले को रुपया ५५ प्रति दिन की प्राप्ति हो सकती है । यह दाम उसे कोई उद्योगपत्ति ही कच्चे माल की तरह प्रुक्त कर प्रदान कर सकता है।



इस सोच को लेकर माननीय के आदेशानुसार गोवर्धन उद्योग का प्रारम्भ हुआ है। यह ३ मास का शिशु आज लगभग ५००० लिटर गोमूत्र और लगभग ५००० किलो सुखा गोबर (कंडे ) प्रतिदिन खरीदने की क्षमता विकसित कर चुका है । आज हम शुद्ध प्राकृतिक फिनायल, कीमती हेंडवाश, गोजल अर्क, धुप, हस्त प्रक्षालन मुक्त पावडर, समिधा हवं लकड़ी और विशेषत: विश्व में पृथम बार पार्टिकलबोर्ड का उत्पादन कर रहे हैं।हमारे कार्यस्थान पर गोमूत्र हमे रु. -५ प्रति लिटर और गोशालाओं से खरीद रु। ३/- प्रति लिटर पर की जा रही है। जल्दी ही हम इस दर को और बढ़ा सकें, ऐसी हमारी कामना है।



प्रिय गोशाला में मेरे साथिओं, ब्रजमंडल की लाखों गायों की रक्षा का भार आप महानुभावो ने अपने कंधो पर उठा रखा है।





'गोवर्धन ' आपके इस सरहानीय प्रयास का सहयोगी है और प्रतिदिन लगभग रु. १५-२०,००० गोमूत्र और रु. १०,०००/- सूखे गोबर के खरीदी के माध्यम से विभिन्न गोशालाओं के नित्य प्रति के व्यय में एक लघु सहयोग देने का प्रयास कर रहा है

आप को गोमूत्र के संग्रह के सुचारू स्वास्थ्य व्यवस्था करनी है जैसे गोघर को नित्य धुलवाना, फर्श पक्का करना और गोमूत्र नाली में जाए ऐसी व्यवस्था करना । के सामने हौदी बनाना जिसमे गोमूत्र संग्रह होसके। इन होदिओं से मोटे कपडेसे छान कर ड्रम में भर कर आप हमे दे सकते हैं। ड्रम भेजने और भरने के पश्चात उठाने के जिम्मेदारी हम वहन कर सकते है



गोवर्धन द्वारा उत्पादित पूर्ण सुरक्षित प्राकृतिक वस्तुओं का विक्रय आप अपने स्थानों पर प्रारम्भ कर बिक्री का लगभग चौथाई भाग अपनी गोशाला के कार्यों में उपयोग कर सकते हैं

आप को और कोई जानकारी इस विषय में चाहिए तो निशंकोच ९४८१०८८३००३ पर मेरे से ले सकते हैं । हमारा उद्देश्य गोरक्षा हम सभी मिल कर पुरा करें ऐसी मेरी प्रभु गोवर्धन से प्रार्थना है

गोसेवा में रत आपका साथी



डॉ . श्री कृषण मित्तल

अध्यक्ष गोवर्धन उद्योग

दक्षिण भारत प्रभारी एवम रास्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य

भा जा पा गोवंश विकाश प्रकोस्ट

अध्यक्ष :कर्नाटक गोशाला महासंघ

सदस्य और कर्नाटक केरल समिति प्रभारी

भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड04-07

सदस्य केरल राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड





4 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

नारदमुनि ने कहा…

good, narayan narayan

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

ब्लोगिंग जगत मे स्वागत है
शुभकामनाएं
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com