रविवार, 21 जून 2009

गोवर्धन udyog














कसयिखाना क्यों नही चाहिए -एक वीवेचन

देश में एक बडा सवाल है की कसाईखाना होना चाहिए या नही
अगर हाँ तो कहाँ, कितना बड़ा कोन चलाये ?
क्या यह सेवा है या उद्योग और व्यापार है?
छेत्र की कीतनी जरुरत है ?
उस छेत्र में जानवरों की कितनी संख्या है?
जनता क्या चाहती है ? वीधी वीधान क्या नीर्देश दे रहे हैं ?

इन सब का जवाब खोज कर निम्नलिखीत पत्र त्यार किया गया जो हर छेत्र और संदर्भ में मार्ग दर्शन करसकता है?


डॉ. मीतल का गोवंश आधारित उद्योग सेमिनार में भाषण

गाय गाँव गोशाला स्वालंबन


बैल शक्ती- आर्थीक उत्थान का माध्यम


















































गोवंस व् उद्दोग के मध्यम से गोवंश रक्षा, सम्वर्धन व् वीकाश

गोवंश आधारीत उद्योगों द्वारा गोवंश सम्वर्धन गौरक्छा, ग्राम, स्त्रिश्क्ती, युवाशक्ति का वीकाश -हमारा संकल्प देश में उपलब्ध १०० करोड़ तन गोबर तथा ७० करोड़ कीलोलीटर गोमूत्र द्वारा देश की अर्थव्यवस्था में रु . २० लाख करोड़ वार्षीक का योगदान




गोवर्धन उद्योग के बढ़ते कदम मथुरा से प्रारम्भ हो मैसूर में भी स्थापित हो रहे है हम

प्राणी बली - क्या वैधानिक है -क्या सही है