मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

भा ज पा गोवंश विकास प्रकोष्ट रास्ट्रीय कार्य कारिणी बैठक में राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. श्रीकृष्ण मित्तल का उदबोधन















पितृतुल्य माननीय श्री ॐप्रकाशजी,रास्ट्रीय उपाध्यक्ष जनप्रिय गौभक्त माननीय श्री  कलराज जी मिश्र जी,  प्रेरणास्रोत्र रास्ट्रीय संगठनमंत्री माननीय श्री रामलाल जी,विभिन्न प्रान्तों से पधारे माननीय कृषि पशुपालनमंत्री श्री साहू जी, श्री कुसुमारिया जी  , गोसेवा आयोगों के आदरणीय अध्यक्ष, प्रोकोस्ट के निति निर्धारक अग्रज आदरणीय श्री राधेश्याम जी गुप्त, इस गोवंश की कार्यकारिणी में देश के कोने कोने से पधारे गोरक्षा, गोसंवर्धन में जुटे और इस पुन्य कार्य को दिशा देने वाले मेरे  सम्मानित  साथिओं को नमस्कार और स्वागत करते हुए दिए गए अवसर का सदुपयोग  करते हुए  देश में गोवंश की दुर्दशा और उस के कारण, देश और हमारे प्रयास की और ध्यान दिलाता हूँ.
कुछ दशकों पहले गोवंश के बिना खेती, परिवहन, सिचाई, पेराई, भोजन, स्वास्थ्य, इतना की, गृहप्रवेश तक भी नहीं सोचा जाता था. सबसे बड़ा पुण्य गोदान, सबसे बड़ी सेवा-गोसेवा, कही जाती थी. यह प्रभु की रचना कामधेनु, कपिला, नंदीनी, और नंदी, वर्षभराज जैसे नामो से पूजी जाती थी.   महामना मदन मोहनजी मालवीय जिनका जन्म दिवस हम कल मना कर चुके हैं, देश की स्वतन्त्रता का अर्थ गोरक्षा से लगते थे. यानी देश के आजाद होने पर कलम की पहली नौक से देश में गोहत्या रोक दी जाएगी ऐसा संकल्प पूजनीय मालवीय जी, लोकमान्य तीलक जी और महात्मा गाँधी जी जैसी महान विभुतिओं का था. 
मथुरा-ब्रिन्दावन मार्ग  पर स्थित हासाराम  गोशाला शायद इसही का प्रमाण है जो परम गोभक्त हासाराम जी जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में जब मुह काला कर प्रवेश किया तो महामना ने कहा की जब तक गोहत्या का कलंक है हम सभी का मुख काला रहेगा  और कहा की देश की आज़ादी मिटे ही देश से गोहत्या का कलंक मिटा दिया जायेगाऔर मुह धुलवाया था. रास्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कितनी ही बार गोरक्षा को  देश की स्वतन्त्रता बड़ा प्रश्न कहा था.
जिस पार्टी की यह बात है वोह तो दो बैलों की जोड़ी फिर गाय बछड़ा देश को दिखा कर हाथ दिखा चुकी लेकिन हमे गर्व है की हमारी पार्टी, जो की भारत की जनता की अपनी पार्टी है, ने गोवंश की महता समझते हुए गोवंश विकास प्रकोस्ट की स्थापना की. 
पूजनीय अटल बिहारी जी वाजपईजी ने, जिनका हम भव्य जन्मदिन मना रहे है,  अपने प्रधानमंत्त्रित्वकाल में पूर्ण गोवंस सुरक्षा, उत्थान और देश के विकास में गोवंश की महत्ता सिद्ध करने के लिए, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुमानमल जी लोढा के नेत्रत्व में रास्ट्रीय गोवंश आयोग का गठन किया
इस आयोग ने बहुत ही कम समय में पूर्ण देश का भ्रमण कर, नयायविद, कृषि विज्ञानिक, धर्मशास्त्री, गोपालक, सभी की राय का समावेश कर १६८० पन्नो की ४ खंडो की रिपोर्ट पूजनीय उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृषण जी अडवानी जी को समर्पित की. यह रिपोर्ट पूर्ण गोवंश रक्षा, संवर्धन, उत्पादन, गोशाला पर्बंधन विषय पर मील का पत्थर साबित हुई. हमारा अगला कदम देश में पूर्ण गोवंश हत्यानिशेध होता, और जो आज भी है. 
साथिओं, जनमानस के सोच का पता चलता है गतवर्ष की विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा से, जिसका  पूर्ण देश के ४,११,७३७ ग्रामो और शहरों में स्वागत हुआ और जाति, धर्म, क्षेत्र की सीमाओं को तोड़ते हुए ८ करोड़ ५० लाख हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, ग्रामीण, शहरी, आदिवासी भारत के नागरिक गोभक्तो ने हस्ताक्षर किये जो महामहिम रास्त्रपति जी को दिए गये.
हम क्या चाहते हैं ? हम चाहते हैं पूर्ण गोवंश रक्षा विधिविधान से, अर्थ उपार्जन में गोवंश के योगदान से, धर्ममार्ग से, जन जागरण से,  व अन्य सभी उचित मार्गों से आज जहाँ भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें आई हैं हमने पूर्ण गोवंश हत्या पर रोक लगाने का अहम् प्रयास किया है और केन्द्रीय सरकार पर पूर्ण दबाव बना रहे हैं. हमे जवाब मिलता है की यह तो राज्य का विषय है. कुछ दिन पूर्व हमारे सांसद श्री गोपाल जी व्यास ने कृषि मंत्री जी के सामने विषय रखा तो येही जवाब प्राप्त हुआ फिर भी उन्होंने राज्य सभा में प्रश्न रखा हुआ है. 
मैं कर्णाटक से हूँ और हमारे जनप्रिय मुख्यमंत्री श्री यदूरप्पा जी ने कर्नाटक गोवंश हत्यानिषेध एवम संवर्धन  बिल, २०१० विधानसभा में विपक्ष के, विरोध के कारण विरोध, का सामना करते हुए पास करवाया. पूर्ण प्रान्त में ख़ुशी की लहर थी लेकिन 'महामहिम' राज्यपाल महोदय ने जनमानस को धत्ता बताते हुए वह बिल महामहिम रास्ट्रपत्ति महोदया के पास राय के लिए भेज दिया जो  माननीय मुख्य मंत्रीजी सहित विभिन्न उच्त्तम प्रतिनिधिमंडलों के मिलने, जानकारी देने के बाद भी, गत ६ मास  से दफ्तरों की धुल खा रहा है.
आज भी देश के कई राज्यों में गोवंश  हत्या का निर्माणकार्य कानून ना होने के कारण गोभ्क्तों की आँखों के सामने चल रहा है. 
देश के संविधान के निर्देश सिधांत ४८ का गोवंश हत्या को रोकने में प्रयोग होना चाहिए था लेकिन साथिओं गोहत्या में उपयोग हो रहा है . इस मूक प्राणी को अनुपयोगी और कृषक पर भार बताते हुए  १२ वर्ष के ऊपर के बैल काटना वैधानिक घोषित यानी कसाई के हाथ में तलवार देना हो गया है और इस छुट के आधार पर सुंदर, सुद्रढ़ बैलों की जोदियन तो काटी ही जा रही हैं इनके साथ में नवजात बछड़े, बछियाँ भी स्वादिस्ट गोमांस के लिए काटी जा रही हैं. जिन राज्यों, जैसे केरल, आसाम, आदि में यह गोरक्षा कानून भी नही है या जो बंगलादेश, पाकिस्तान से जुड़े हैं उनके हम उनके गोवंश आपूर्तिकर्ता हो गये हैं 
देश की कृषि उत्पाद मंडियां, जिन,मे गोवंश भी एक वस्तु माना गया है, प्रति सप्ताह कसाई और उनके दलालों से भारी पाई जाती हैं और जिस देश के मोटर यातायात नियम एक ट्रक में   ४-५ से ज्यादा पशु लड़ने पर रोक लगाते है, उस देश में सरकारी पुलिस, यातायात, वन,मंडी,  पशु कल्याण विभागों के विभिन्न विधि विधानों को तोड़ते हुए एक ग्रामसे दुसरे ग्राम, एक जिले से दुसरे जिले, एक राज्य से दुसरे राज्य की सभी व्यवस्थाओं के साथ समझोता करते हुए, कसाईखानों  में पहुंचा दिए जाते हैं. मुझे भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कर्णाटक केरल प्रभारी होने के नाते माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार कर्नाताकौर केरल के पशु व्यापर और कसाईखानों का दौरा करना पड़ा और जिंदा गाय को कैसे कटा जारहा है देखने का दुर्भाग्य भी झेलना पड़ा. लेकिन, उस रिपोर्ट को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मान्य किया और पूर्ण देश के कसाईखानों के लिए निर्देश भी जारी किये. 
साथिओं, देश में सरकार कसाईखाने बनती है, हर शहर में बनती है जैसे कोई बहुत बड़ा सामाजिक उत्थान कार्य हो और फिर कसायिओं को नीलामी में इतने कम पैसे में दे दिया जाता है जिसमे उस कसाई खाने में एक अर्ध कालिक सफाई कर्मचारी भी नियुक्त नही किया जा सकता. गोवंश सुरक्षा का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
इस विषय को यहीं रोकते हुए मैं चाहूँगा की आप अपने राज्यों में, प्रकोस्ट की राज्य, जिला, शहर, ग्राम शाखाओं का विकास कर अपने क्षेत्र कार्यकर्ताओं को विधि विधान की पूर्ण जानकारी प्रदान करें और अपने अपने क्षेत्रों की समश्याओं से रास्ट्रीय प्रकोस्ट को साथ लें. मेरा अटूट विश्वास है की जो भी केन्द्रीय और राज्यों के कानून हैं उनका अगर सही पालन करवा सकें तो हम पूर्ण गोवंश रक्षा में आज भी सफल हो सकते हैं. 
देश और प्रान्तों में लागु कुछ विधानों की जानकारी सलंग्न है .
कोई भी धर्म हिंसा, नहीं सिखाता, ' नहीं पहुँचते अल्लाह के पास लहू-गोस्त के लुकमे - पहुँचती है परहेजगारी"  हमारे देश में शिक्षा विभाग को हमे चेताना और विद्यार्थिओं को सही मार्ग दर्शन देना होगा 
साथिओं इस ११२ करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले देश में सरकारी आंकड़ो के अनुसार देशी- विदेशी नर मादा बछड़े बछिया सभी मिला कर भी २८ अक्तूबर, २०१० को गोवंश 32,57,58,250 पाया गया है. अगर भैसों को भी मिलालें तो यह ४५ करोड़ माना गया है. हालाँकि इसका ७०% भी गोवंश शायद  नहीबचा  है. सूची इस प्रकार है
Table No                Description                                                    Rural              Urban              Total
1A               Cattle Exotic& Crossbreed - Male                  29952994       3107066        3,30,60,660
1B               Cattle Exotic & Crossbreed-Female                  6287311         556386           68,43,697
1C               Cattle Indigenous-Male                                     74990525       1788963        7,67,79,488
1D               Cattle Indigenous-Female                               190297452       8777553      19,90,75,005                                                                                                                                                                    
                                                                                                                                         32,57,58,250
1E               Buffalo – Male                                                       18774888          822504        1,95,97,392
1F               Buffalo-Female                                                     99916144        5426500      10,53,42,644
                                                                                                                                          45,06,98,286
 सरकारी आंकड़ो को सही मानलें तो हमारे पास लगभग २०.५ करोड़ गोमाता हैं जो प्रति वर्ष कम से कम ६ करोड़ नये गोवंश को जन्म देती हैं और यह ६ करोड़ औरइसही अनुपात से  १० करोड़ भैंस भी लगभग ३ करोड़ भैसों को जन्म देतीaa हैं. यह प्रजनन पूर्णतया गोचर ही नहीं होता. यानी लगभग ९-१० करोड़ गाय- बैल, भैंस, रु. २,००,००० करोड़ का २ करोड़ टन गोमांस प्रदान करती हैं ५०,००० करोड़ का चरम, हड्डी,खून, आदि  का व्यापार होता है. यह २.५० लाख करोड़ का व्यापर देश के विकास में कोई सहयोग नहीं देता पाया गया है. ना ही ग्रामीण विकास में ना ही रोजगार देने में समर्थ है. सिर्फ कुछ विशेष सम्प्रदाय के लोगो, विभिन्न विभागों के निरक्षकों, अधिकारिओं, राजनीतिज्ञों को, जो इस घृणित व्यवसाय से जुड़े हैं, को समृद्ध बना रहा है. 
देश का सर्व हारा गोपालक, कृषक, आज आत्म हत्या कर रहा है क्योंकी उसको महानाशकारी रासायनिक खाद लगा दिया गया है, खेतों में ट्रेक्टर, नलकूप आदि के उपयोग ने बैल शक्ति को नीर उपयोगी बना दिया है. खेती की लागत में उर्वरक, जल और डीजल मुख्य घटक बन चुके हैं इसके अलावा देश की २५% भूमि चरागाहों के लिए रखी जाने के प्रावधान आज भूले जाकर शहरीकरण की दौड़ में कब्जा किये जा  चुके हैं. उपरोक्त ३० करोड़ गोवंश ४ टन प्रति वर्ष की दर से १२० करोड़ टन गोबर और ८० करोड़ किलो लीटर गोमूत्र प्रदान करता है. यह मात्रा लो की देश के विकास में सहायक होनी चाहिए आज पर्यावरण की समस्या बन गयी है ग्राम- शहर की नालिओं से बह कर क्षेत्र के जलाशयों, और नदिओं के जल स्तर को ऊँचा करती जा रही है. यह दीवानगी भरा मूक प्राणी संहार आज पर्यावरण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, रोजगारविकास , स्त्रीशक्ति, ग्रामीण विकास को तहस नहस कर रहा है. 
  अगर इस गोवंशशक्ति को उपयोग में लाया जाये तो १२० करोड़ टन गोबर ५०,००० करोड़ का प्राकृतिक उर्वरक, ३५,००० करोड़ की १०,००० करोड़ यूनिट बिजली और एक बैल ८ अश्वशक्ति ८० करोड़ अश्व शक्ति के सामान  बैलशक्ति देश की ग्रामीण विद्युत्, इंधन और पेय जल समाश्या का निदान है. 
बैल शक्ति का कृषि, सिचाई, परिवहन, अन्य कल कारखानों को चलने में उपयोग ग्रामीण बेरोजगारी समाप्त कर ग्राम विकास की धुरी बन भूतपुरी राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी की कल्पना 'पूरा' ( ग्राम में शहर की सुविधा ) प्रदान कर सकता है.
कृषक और गोपालक की लागत में कमी लाकर, कृषि को लाभदायक बनाते हुए हमारा गोवंश देश की अर्थ व्यवस्था में  अशीम योगदाता बन सकता है. पचासिओं वस्तुओं के  निर्माण का साधन, अगर राज्य और केंद्र सरकारें, इस और तनिक ध्यान दे दें तो ग्रामीण उद्योग, देश की अर्थ व्यवस्था में खरबों रुपैये का योगदाता बन सकता है. 
बीसिओं वस्तुएं, जैसे, साबुन, शेम्पू, फिनियाल, धूप, अगबती, रंग रोगन, कीमती टायल, प्लाई बोर्ड, मूर्ति, कागज, उर्वरक, किटनियंत्रक, १७० रोगों की रोकथाम दवाईयां, मछर नियंत्रक तेल, कोइल और तो और गोकोला, गोज्योती जैसी विभिन्न दैनिक जरुरत में कम आने वाली वस्तुएं जो की विभिन्न विदेशी महा कंपनियो द्वारा विज्ञापन के जोर से जन मानस में जहर की तरह घुटी जा रही हैं, उन्हें ग्राम ग्राम में बना कर लाभप्रद गोवंश उद्योग मै जोड़ कर गोबरसे  रु.५ और गोमूत्र और गोमूत्रसे  रु. २०  प्रति लिटरके दाम प्राप्त कर गोपालक को समृद्ध और गोवंश में बढ़ोतरी की जा सकती है .
मुझे प्रेरणा मिली और देश का पृथम गोवंश आधारित उद्योग गोवर्धन ओरगेनिक लिमिटेड  आज लगभग ५०,००० किलो गोबर और ५००० लिटर गोमूत्र उपयोग क्षमता के साथ पार्टिकल बोर्ड , फिनायल, हस्त प्रक्षालन पावडर गोमूत्र अर्क, आदि का सफलता पूर्वक उत्पादन कर रहा है, केवल  गोवंश  ही  नही पर्यावरण में योगदान देते हुए प्रतिवर्ष लगभग १,००,००० वृक्षों की रक्षा करेगा.
अगर पूर्ण गोवंश द्वारा प्रदित गोबर गोमूत्र का लेखा करे तो करोड़ो वृक्षों की रक्षा का यह साधन है.
कुछ सम्भावित उद्योगों की सूची निम्न प्रकार है 
साथिओं, आपने ओजोन परत के विषय में पढ़ा होगा कार्बन क्रेडिट के रूक में अगर हम एक टन कोयले, तेल इंधन की बचत करते हैं तो विदेशी कम्पनिओं  से  लगभग डॉलर १५-१६ प्राप्त  होते हैं. इस प्रकार के उद्योग लगाये जाने तो १२० करोड़ टन गोबर हमे १८०० करोड़ डॉलर यानी ९०,००० करोड़ रूपया विदेशी मुद्रा लाने में सहायक हो सकता है 
रास्ट्रीय और प्रांतीय सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों में गोवंश जुड़ा हुआ है आपकी जानकारी के लिए कुछ विभाग निम्नलिखित हैं
गोवंश विकास प्रकोस्ट यह सभी जानकारियाँ आपके माध्यम से देश के कोने कोने में पहुंचा कर सर्वहारा के रोजगार, सुन्दर जीवनयापन, स्वास्थ्य की कल्पना करते हुए भा ज पा का सन्देश हर घर में पंहुचा सकता है.
आईये हम आज से ही जूट जाएँ और 
१. जहाँ जहाँ भी भा ज पा और हमारी संयुक्त सरकारे हैं गोबध बंदी को कठोरता पूर्वक लागु करवा कर उदाहरण पेश करें केन्द्रीय और प्रांतीय सरकारों पर दबाव बना कर पूर्ण गोवंश हत्याबंदी बंदी और अवैधानिक कसायिखानो को रुकवाएं. 
2. केन्द्रीय एवम राज्य सरकारों से २०११ के बजट में विभिन्न योजनाओं में  गोवंश आधार शामिल करने का प्रयास करें 
3. केन्द्रीय और राज्य सरकारों को गोवंश आधारित उद्योग स्थापना में प्रोत्साहन देने का अनुरोध करें.  
4. हर जिले में  कामधेनु अरण्य के निर्माण का प्रयास करें मैं इस प्रयास को अटल गो वन योजना का नाम देते हुए परम पूजनीय अटल को समर्पित करना चाहता हूँ. 
5. विदेशी नस्ल से गर्भाधान बंद हो और देसी  नस्ल सुधार को प्रोत्साहन हो करें .
6. चारागाह क्षेत्रो की सूची बना कर जिला प्रशासन को उसे विम्मुक्त करवा गोपालक, गोशाला व् कृषक को चारा उगाने को दिलवाने का प्रयास करें
7. जैविक खाद और कीटनियंत्रक के विक्रय और केंद्र और राज्यों से छूट का अनुरोध करें 
8. गोवंश आधारित उद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, राजकीय विभिन्न अनुदान, कर रियायतें २०११ के बजटों का भाग बने
9. आदर्श ग्राम योजना जिसमे जैविक कृषि, गोवंश आधारित उद्योग, बैल चालित उपकरण उपयोग में ला कर जल, इंधन, विद्युत्, परिवहन, उर्वरक, किट नियंत्रक, दुग्ध और इसके उत्पाद प्रारंभ कर  पूर्ण ग्राम उत्थान कर दिखाएँ.
१0. हर तहसील में गोशाला, नंदीशाला, वर्षभशाला  हो जो आत्मनिर्भरता कार्य करे गोवंश नस्लसुधार कर देश के गोवंश को स्वास्थ्य, सुद्रढ़ और  सम्पन्न बनायें.
साथिओं, मुझे पूर्ण विश्वास है क़ि अगर हम आज कमर कस लें तो यक़ीनन, देश के हर गाँव, हर शहर में हम गोवंश विकास की धरा बहा देंगे हमने ८.५ करोड़ हस्ताक्षर दिए और अगर हम इन गोभ्क्तों को मत दाता के रूप में परिवर्तित कर सकें तो  मुझे पूर्ण विश्वास है की हम गोवंश की रक्षा, संवर्धन, ग्राम विकास, मानवसेवा के उच्चतम मानकों को स्थापित करते हुए हमारे माननीय अध्यक्ष श्री नीतीन गडकरी जी द्वारा दिए गये लक्ष्य -१०% मतों की बढ़ोतरी- को अवश्य पूरा ही नहीं पार  कर  २०१४ में गोमाता के आशीर्वाद से केंद्र में कमल लहरायेंगे 
जय गोमाता, जय भारत 
आपका साथी डॉ. श्री कृष्ण मित्तल
    
Anx-1                                                                  Statutory Acts & Rules
Articles 48, 48-A and 51-A(g) of  the  Constitution  read as under :-"48. Organization of agriculture and animal husbandry. The State shall Endeavour to organize agriculture and animal husbandry on modern and scientific lines and shall, in particular, take steps for preserving and improving the breeds, and prohibiting the slaughter, of cows and calves and other milch and draught cattle.
48-A. Protection and improvement of environment and safeguarding of forests and wild life.The State shall Endeavour to protect and improve the environment and to safeguard the forests and wild life of the country.
Fundamental duties 51-A (g)..It shall be the duty of every citizen of India to protect and improve the natural environment including forests, lakes, rivers and wild life, and to have compassion for living creatures;"
Indian Penal Code  429  puts rigorous punishment on mischief by killing, poisoning, maiming or  rendering useless any elephant, camel, horse, mule, buffalo, bull, cow, or ox.
Prevention of Cruelty Act of 1961 was enacted to prevent cruelty to animals and its Rules regulates Transportation of Animals, Slaughterhouses, Establishment of Societies for Providing Compassion to Animals (SPCA) etc.
(Karnataka) Prevention of Cow Slaughter & Preservation of Cattle Act was enacted in 1964 providing complete security to Cow Calf & She Buffalo and He Cow & He Buffalo below 12 years.
Karnataka Prevention of Animal Sacrifice Act, 1959 Sec.2 Sacrifice  means the killing or maiming of any animal for the purpose of any religious worship or adoration. Place of  public religious worship means “ any place intended for use by, or accessible to, the public or section thereof for the purpose of religious worship or adoration. Sec.3   prohibition on sacrifice.  “ No person shall sacrifice any animal in any place of public religious worship or adoration or its precincts or any congregation or procession connected with any religious worship in public street.  (Explanation) For the purpose f Sec 3 & 4” Public street means a road, street, way or other place whether a through fare or not, to which the public is granted access or over which they have right to pass
Karnataka Agro Produce Marketing (APMC) Act has classified these animals under Schedule A ensuring legal transaction
Karnataka Motor Vehicle Rules and union Motor Vehicle Act have restricted transportation of these animals and apart from different provisions each animal has to be provided 2 Sq. Meter space i e. loading of more than 4 Cattle in a vehicle is illegal.
Karnataka Municipality Act Sec.87,91, 226,228. 232,242,243,244, 246, 251, 256,257,324 deals with Animals, slaughterhouse, illegal slaughter places. Health & hygiene.
Anx. 2 Requirement & Suggestion on different State Departments
1.      Animal Husbandry & Veterinary Services described as Competent authority under Prevention of Cow Slaughter & Preservation of Cattle Act, 1964 is seen totally neglecting the implementation of above Act. There is no single infirmary established in whole State. In spite of repeated reminders SPCA has not even being constituted in many Districts. Karnataka State Animal Welfare Board has met 3-4 times since its inception in last 6-7 years. Your wonderful planned Scheme “Swrana Karanataka Gauthali Yojna ” has been reported misused  in many places out of 18 granted institutions.
2.      Planning  : National & State Planning commissions / Minstries shall consider cow Progeny as big source of Energy, Rural Development, Industrial Growth, Exchequer and declare as thrust area. Suitable fund allocation willresult not only in Safety of cow progeny BUT will be instrumentalin National and state growth.
3.      Home:  The implementation of all Acts & Rules normally falls on Police solders. There are number of  Acts and Rules including IPC 429  to be implemented in letter and spirit. Though Karnataka Police is one of the best team in our country still negligence can be seen in whole State. Visible crime every day are left un booked in one pretext or other. Investigation in booked Crime are not seen in concluding manner.
4.      Urban Development - Municipal Administration: Civic administration responsible for stray Cattle, slaughter, Sale of carcass owns big responsibility. Karnataka Municipality Act has defined all activities. But, gross violation can be seen in all civic bodies. Directions from Honorable Supreme Court of India in LN Modi V/s Govt. of India & ors may attract contempt proceedings one day. There is no ante mortem post martem system seen in any of Slaughter house. Mafia are holding the control and even Government officials are afraid of entering in the area. Cattle pounds or  Infirmaries are statutory requirements which are not in existence.
5.      Rural Development & Panchayat Raj  :  Cow and its progeny , the backbone of rural economy has been destabilized because of greed of money and vested interest.  App.20 millian Govansh generates 80 million M.T of Cow dung & 20 million kilo ltr of Gaumutra. Bull power availability  can be fairly estimated at 200 million Horsepower. 30,000+ village of State are crying for rural employment, Water, Electricity Fertilizer etc. State is consuming thousand crore worth of Phenyl. RDPR Department shall be instrumental in development and implementation of Schemes for proper utilization. Inclusion of Cow progeny in present available Schemes like Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana, Swarnjayanti Gram Swarozgar Yojana, Rural Housing, National Rural Employment Guarantee Act-2005, National Social Assistance Programme, Training, Capart, DRDA Administration, Vigilance and Monitoring,
6.      Finance & Revenue : State exchequer is bearing huge loss due to non taxation on Animal Trade & Slaughter houses. Animal transportation, Trade &Slaughter activities shall be dealt  as commercial and industrial activities. Normal 12.5% VAT shall bring at least RS 1,000 Crore / Year but it is draining huge amount on different heads. The auction amount received by Civic bodies is not even sufficient to post part time sweeper in a slaughter house
7.      Disaster management : Speechless animals are prime victim of any disaster whether draught or flood or fodder shortage or earth quake. State receives huge amount and also spends billions of Rupees but definite animal related schemes are not at all seen. Even Fodder transportation subsidy announced many times in the State has not been released. In case of States like Rajasthan Goshala are getting RS.20/- per day per Cattle. Most of the amount is coming out of Disaster Relief Funds.
8.      Agro Produce Marketing: The animal related crime generates from Government Land of 110+ APMC Yards in the State every week. Cattle is item under Schedule A needs Trading License and other regulations. But, implementation is not seen apart from co ordination between other departments. As per fair estimate it is incurring a revenue loss of few Crores   in this account. Presence of APMC Check post can be seen in whole State but totally indifferent on the subject.
9.      Transport :  Presence of RTO can be seen every where including on interstate borders. Motor Vehicle Rules and Motor Vehicle Act has imposed stringent penalties, confiscation and imprisonment of violation. BUT, the visible Crime is going un noticed under the nose of Transport Department
10.    Law & Justice: All connected laws were enacted at least 40-50 years earlier. Price Index has gone up many fold in this time but Penalties and Fines are unchanged. It is   helping  offenders. Animal related cases are not cared by prosecution  resulting into release of Cattle to offenders in violation of Honorable Supreme Court Directions. Executive Departments are not provided with the relevant legal information.     
11.    Forest  :  Most of transport routes crosses Forest area Hand Posts. Animal carcass, effluent are highly hazardous for wild life. Illegal transporters are big enemies and to be tackled with iron hands by forest authorities in co ordination with other Departments 
12.    Agriculture :  Animal Welfare, Fodder, Fertilizer, Seeds Subsidies etc many issues comes under Agriculture Department preview. Proper schemes has to be chalked out and implemented for best use of Bull power, Milch  animal, Bio Compost production, Fodder cultivation etc.
13.    Dairy Development : Cow and its progeny is known as Dairy development tool also. Breed improvement, Milk procurement, milk product marketing like many issues directly related with Cattle preservation and Safety. 
14.    Small Scale & Cottage Industries: There are scores of cottage & medium Scale industries based on Cow dung and Cow Urine. It can be a big rural employment generation. Industries Department and connected Corporations shall develop, propagate, motivate, different schemes
15.    Primary & Higher  Education: Compassion, Health & Hygiene, Legal, economy, Husbandry , Veterinary   etc many subjects needs attention of Primary & Higher Education Departments. Gains of Animal Safety & Loss of Cruelty & Killing shall be incorporated in Syllabus. Seperete Chairs shall be established in different  Universities on related subjects.
16.    Energy: Bull Power& Bio Gas are large untapped source of non conventional Energy. Proper Production & utilization will certainly reduce Burdon on Energy Department. Like incentives on Solar energy,  schemes shall be chalked out on use of Bull Power & Electricity Generation. Apart from Implementation of Union government Ministry of Non Conventional Energy.
Anx 3                                                               Statutory Acts & Rules
Articles 48, 48-A and 51-A(g) of  the  Constitution  read as under :-"48. Organization of agriculture and animal husbandry. The State shall Endeavour to organize agriculture and animal husbandry on modern and scientific lines and shall, in particular, take steps for preserving and improving the breeds, and prohibiting the slaughter, of cows and calves and other milch and draught cattle.
48-A. Protection and improvement of environment and safeguarding of forests and wild life.The State shall Endeavour to protect and improve the environment and to safeguard the forests and wild life of the country.
Fundamental duties 51-A (g)..It shall be the duty of every citizen of India to protect and improve the natural environment including forests, lakes, rivers and wild life, and to have compassion for living creatures;"
Indian Penal Code  429  puts rigorous punishment on mischief by killing, poisoning, maiming or  rendering useless any elephant, camel, horse, mule, buffalo, bull, cow, or ox.
Prevention of Cruelty Act of 1961 was enacted to prevent cruelty to animals and its Rules regulates Transportation of Animals, Slaughterhouses, Establishment of Societies for Providing Compassion to Animals (SPCA) etc.
Prevention of Cow Slaughter & Preservation of Cattle Act was enacted in 1964 providing complete security to Cow Calf & She Buffalo and He Cow & He Buffalo below 12 years.
Prevention of Animal Sacrifice Act, 1959 Sec.2 Sacrifice  means the killing or maiming of any animal for the purpose of any religious worship or adoration. Place of  public religious worship means “ any place intended for use by, or accessible to, the public or section thereof for the purpose of religious worship or adoration. Sec.3 prohibition on sacrifice.“ No person shall sacrifice any animal in any place of public religious worship or adoration or its precincts or any congregation or procession connected with any religious worship in public street.(Explanation) For the purpose f Sec 3 & 4” Public street means a road, street, way or other place whether a through fare or not, to which the public is granted access or over which they have right to pass
AgroProduceMarketing(APMC)Act has classified these animals under Schedule A ensuring legaltransaction
Motor Vehicle Rules and union Motor Vehicle Act have restricted transportation of these animals and apart from different provisions each animal has to be provided 2 Sq. Meter space i e. loading of more than 4 Cattle in a vehicle is illegal.
Municipality Act Sec.87,91, 226,228. 232,242,243,244, 246, 251, 256,257,324 deals with Animals, slaughter house , illegal slaughter places. Health & hygiene.

सोमवार, 27 दिसंबर 2010

भा ज पा गोवंश विकास प्रकोष्ट रास्ट्रीय कार्य कारिणी बैठक में राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. श्री कृष्ण मित्तल का उद्भोदन






  गोवंश रक्षा, संवर्धन, पालन और देश के उत्थान में योगदान- एक सोच
वन्दे धेनु मातरम,  
पितृतुल्य माननीय श्री ॐ प्रकाशजी, देश को गो और गंगा से जोड़नेवाले राष्ट्रनायक   माननीय श्री राजनाथसिंह जी, रास्ट्रीय उपाध्यक्ष जनप्रिय गौभक्त माननीय श्री  कलराज जी मिश्र जी,  प्रेरणास्रोत्र माननीय  श्री रामलाल जी,  माननीय श्री महिंदर कुमार पांडे जी, विभिन्न प्रान्तों से पधारे माननीय कृषि, पशुपालन मन्त्र, गोसेवा आयोगों के आदरणीय अध्यक्ष,   प्रोकोस्ट के निति निर्धारक अग्रज आदरणीय श्री राधेश्याम जी गुप्त, इस गोवंश की कार्यकारिणी में देश के कोने कोने से पधारे गोरक्षा, गोसंवर्धन में जुटे और इस पुन्य कार्य को दिशा देने वाले मेरे  सम्मानित  साथिओं को नमस्कार और स्वागत करते हुए दिए गए अवसर का सदुपयोग  करते हुए  देश में गोवंश की दुर्दशा और उस के कारण देशऔर देश वासिओं के दुर्भाग्य की और ध्यान दिलाता हूँ.
कुछ दशकों पहले गोवंश के बिना खेती, परिवहन, सिचाई, पेराई, भोजन, स्वास्थ्य, इतना की, गृहप्रवेश तक भी नहीं सोचा जाता था. सबसे बड़ा पुण्य गोदान, सबसे बड़ी सेवा-गोसेवा, कही जाती थी. यह प्रभु की रचना कामधेनु, कपिला, नंदीनी, और नंदी, वर्षभराज जैसे नामो से पूजी जाती थी.   महामना मदन मोहनजी मालवीय जिनका जन्म दिवस हम कल मना कर चुके हैं, देश की स्वतन्त्रता का अर्थ गोरक्षा से लगते थे. यानी देश के आजाद होने पर कलम की पहली नौक से देश में गोहत्या रोक दी जाएगी ऐसा संकल्प पूजनीय मालवीय जी, लोकमान्य तीलक जी और महात्मा गाँधी जी जैसी महान विभुतिओं का था. 
मथुरा-ब्रिन्दावन मार्ग  पर स्थित हासाराम  गोशाला शायद इसही का प्रमाण है जो परम गोभक्त हासाराम जी जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में जब मुह काला कर प्रवेश किया तो महामना ने कहा की जब तक गोहत्या का कलंक है हम सभी का मुख काला रहेगा  और कहा की देश की आज़ादी मिटे ही देश से गोहत्या का कलंक मिटा दिया जायेगाऔर मुह धुलवाया था. रास्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने कितनी ही बार गोरक्षा को  देश की स्वतन्त्रता बड़ा प्रश्न कहा था.
जिस पार्टी की यह बात है वोह तो दो बैलों की जोड़ी फिर गाय बछड़ा देश को दिखा कर हाथ दिखा चुकी लेकिन हमे गर्व है की हमारी पार्टी, जो की भारत की जनता की अपनी पार्टी है, ने गोवंश की महता समझते हुए गोवंश विकास प्रकोस्ट की स्थापना की. 
पूजनीय अटल बिहारी जी वाजपईजी ने, जिनका हम भव्य जन्मदिन मना रहे है,  अपने प्रधानमंत्त्रित्वकाल में पूर्ण गोवंस सुरक्षा, उत्थान और देश के विकास में गोवंश की महत्ता सिद्ध करने के लिए, भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुमानमल जी लोढा के नेत्रत्व में रास्ट्रीय गोवंश आयोग का गठन किया
इस आयोग ने बहुत ही कम समय में पूर्ण देश का भ्रमण कर, नयायविद, कृषि विज्ञानिक, धर्मशास्त्री, गोपालक, सभी की राय का समावेश कर १६८० पन्नो की ४ खंडो की रिपोर्ट पूजनीय उप प्रधानमंत्री श्री लाल कृषण जी अडवानी जी को समर्पित की. यह रिपोर्ट पूर्ण गोवंश रक्षा, संवर्धन, उत्पादन, गोशाला पर्बंधन विषय पर मील का पत्थर साबित हुई. हमारा अगला कदम देश में पूर्ण गोवंश हत्यानिशेध होता, और जो आज भी है. 
साथिओं, जनमानस के सोच का पता चलता है गतवर्ष की विश्व मंगल गौ ग्राम यात्रा से, जिसका  पूर्ण देश के ४,११,७३७ ग्रामो और शहरों में स्वागत हुआ और जाति, धर्म, क्षेत्र की सीमाओं को तोड़ते हुए ८ करोड़ ५० लाख हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, ग्रामीण, शहरी, आदिवासी भारत के नागरिक गोभक्तो ने हस्ताक्षर किये जो महामहिम रास्त्रपति जी को दिए गये.
हम क्या चाहते हैं ? हम चाहते हैं पूर्ण गोवंश रक्षा विधिविधान से, अर्थ उपार्जन में गोवंश के योगदान से, धर्ममार्ग से, जन जागरण से,  व अन्य सभी उचित मार्गों से आज जहाँ भी भारतीय जनता पार्टी की सरकारें आई हैं हमने पूर्ण गोवंश हत्या पर रोक लगाने का अहम् प्रयास किया है और केन्द्रीय सरकार पर पूर्ण दबाव बना रहे हैं. हमे जवाब मिलता है की यह तो राज्य का विषय है. कुछ दिन पूर्व हमारे सांसद श्री गोपाल जी व्यास ने कृषि मंत्री जी के सामने विषय रखा तो येही जवाब प्राप्त हुआ फिर भी उन्होंने राज्य सभा में प्रश्न रखा हुआ है. 
 
मैं कर्णाटक से हूँ और हमारे जनप्रिय मुख्यमंत्री श्री यदूरप्पा जी ने कर्नाटक गोवंश हत्यानिषेध एवम संवर्धन  बिल, २०१० विधानसभा में विपक्ष के, विरोध के कारण विरोध, का सामना करते हुए पास करवाया. पूर्ण प्रान्त में ख़ुशी की लहर थी लेकिन 'महामहिम' राज्यपाल महोदय ने जनमानस को धत्ता बताते हुए वह बिल महामहिम रास्ट्रपत्ति महोदया के पास राय के लिए भेज दिया जो  माननीय मुख्य मंत्रीजी सहित विभिन्न उच्त्तम प्रतिनिधिमंडलों के मिलने, जानकारी देने के बाद भी, गत ६ मास  से दफ्तरों की धुल खा रहा है.
आज भी देश के कई राज्यों में गोवंश  हत्या का निर्माणकार्य कानून ना होने के कारण गोभ्क्तों की आँखों के सामने चल रहा है. 
देश के संविधान के निर्देश सिधांत ४८ का गोवंश हत्या को रोकने में प्रयोग होना चाहिए था लेकिन साथिओं गोहत्या में उपयोग हो रहा है . इस मूक प्राणी को अनुपयोगी और कृषक पर भार बताते हुए  १२ वर्ष के ऊपर के बैल काटना वैधानिक घोषित यानी कसाई के हाथ में तलवार देना हो गया है और इस छुट के आधार पर सुंदर, सुद्रढ़ बैलों की जोदियन तो काटी ही जा रही हैं इनके साथ में नवजात बछड़े, बछियाँ भी स्वादिस्ट गोमांस के लिए काटी जा रही हैं. जिन राज्यों, जैसे केरल, आसाम, आदि में यह गोरक्षा कानून भी नही है या जो बंगलादेश, पाकिस्तान से जुड़े हैं उनके हम उनके गोवंश आपूर्तिकर्ता हो गये हैं 
देश की कृषि उत्पाद मंडियां, जिन,मे गोवंश भी एक वस्तु माना गया है, प्रति सप्ताह कसाई और उनके दलालों से भारी पाई जाती हैं और जिस देश के मोटर यातायात नियम एक ट्रक में   ४-५ से ज्यादा पशु लड़ने पर रोक लगाते है, उस देश में सरकारी पुलिस, यातायात, वन,मंडी,  पशु कल्याण विभागों के विभिन्न विधि विधानों को तोड़ते हुए एक ग्रामसे दुसरे ग्राम, एक जिले से दुसरे जिले, एक राज्य से दुसरे राज्य की सभी व्यवस्थाओं के साथ समझोता करते हुए, कसाईखानों  में पहुंचा दिए जाते हैं. मुझे भारत सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड के कर्णाटक केरल प्रभारी होने के नाते माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार कर्नाताकौर केरल के पशु व्यापर और कसाईखानों का दौरा करना पड़ा और जिंदा गाय को कैसे कटा जारहा है देखने का दुर्भाग्य भी झेलना पड़ा. लेकिन, उस रिपोर्ट को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मान्य किया और पूर्ण देश के कसाईखानों के लिए निर्देश भी जारी किये. 
साथिओं, देश में सरकार कसाईखाने बनती है, हर शहर में बनती है जैसे कोई बहुत बड़ा सामाजिक उत्थान कार्य हो और फिर कसायिओं को नीलामी में इतने कम पैसे में दे दिया जाता है जिसमे उस कसाई खाने में एक अर्ध कालिक सफाई कर्मचारी भी नियुक्त नही किया जा सकता. गोवंश सुरक्षा का तो प्रश्न ही नहीं उठता.
इस विषय को यहीं रोकते हुए मैं चाहूँगा की आप अपने राज्यों में, प्रकोस्ट की राज्य, जिला, शहर, ग्राम शाखाओं का विकास कर अपने क्षेत्र कार्यकर्ताओं को विधि विधान की पूर्ण जानकारी प्रदान करें और अपने अपने क्षेत्रों की समश्याओं से रास्ट्रीय प्रकोस्ट को साथ लें. मेरा अटूट विश्वास है की जो भी केन्द्रीय और राज्यों के कानून हैं उनका अगर सही पालन करवा सकें तो हम पूर्ण गोवंश रक्षा में आज भी सफल हो सकते हैं. 
देश और प्रान्तों में लागु कुछ विधानों की जानकारी सलंग्न है .
कोई भी धर्म हिंसा, नहीं सिखाता, ' नहीं पहुँचते अल्लाह के पास लहू-गोस्त के लुकमे - पहुँचती है परहेजगारी"  हमारे देश में शिक्षा विभाग को हमे चेताना और विद्यार्थिओं को सही मार्ग दर्शन देना होगा 
साथिओं इस ११२ करोड़ की विशाल जनसंख्या वाले देश में सरकारी आंकड़ो के अनुसार देशी- विदेशी नर मादा बछड़े बछिया सभी मिला कर भी २८ अक्तूबर, २०१० को गोवंश 32,57,58,250 पाया गया है. अगर भैसों को भी मिलालें तो यह ४५ करोड़ माना गया है. हालाँकि इसका ७०% भी गोवंश शायद  नहीबचा  है. सूची इस प्रकार है
Table No                Description                                                    Rural              Urban              Total
1A               Cattle Exotic& Crossbreed - Male                  29952994       3107066        3,30,60,660
1B               Cattle Exotic & Crossbreed-Female                  6287311         556386           68,43,697
1C               Cattle Indigenous-Male                                     74990525       1788963        7,67,79,488
1D               Cattle Indigenous-Female                               190297452       8777553      19,90,75,005                                                                                                                                                                    
                                                                                                                                         32,57,58,250
1E               Buffalo – Male                                                       18774888          822504        1,95,97,392
1F               Buffalo-Female                                                     99916144        5426500      10,53,42,644
                                                                                                                                          45,06,98,286
 सरकारी आंकड़ो को सही मानलें तो हमारे पास लगभग २०.५ करोड़ गोमाता हैं जो प्रति वर्ष कम से कम ६ करोड़ नये गोवंश को जन्म देती हैं और यह ६ करोड़ औरइसही अनुपात से  १० करोड़ भैंस भी लगभग ३ करोड़ भैसों को जन्म देतीaa हैं. यह प्रजनन पूर्णतया गोचर ही नहीं होता. यानी लगभग ९-१० करोड़ गाय- बैल, भैंस, रु. २,००,००० करोड़ का २ करोड़ टन गोमांस प्रदान करती हैं ५०,००० करोड़ का चरम, हड्डी,खून, आदि  का व्यापार होता है. यह २.५० लाख करोड़ का व्यापर देश के विकास में कोई सहयोग नहीं देता पाया गया है. ना ही ग्रामीण विकास में ना ही रोजगार देने में समर्थ है. सिर्फ कुछ विशेष सम्प्रदाय के लोगो, विभिन्न विभागों के निरक्षकों, अधिकारिओं, राजनीतिज्ञों को, जो इस घृणित व्यवसाय से जुड़े हैं, को समृद्ध बना रहा है. 
देश का सर्व हारा गोपालक, कृषक, आज आत्म हत्या कर रहा है क्योंकी उसको महानाशकारी रासायनिक खाद लगा दिया गया है, खेतों में ट्रेक्टर, नलकूप आदि के उपयोग ने बैल शक्ति को नीर उपयोगी बना दिया है. खेती की लागत में उर्वरक, जल और डीजल मुख्य घटक बन चुके हैं इसके अलावा देश की २५% भूमि चरागाहों के लिए रखी जाने के प्रावधान आज भूले जाकर शहरीकरण की दौड़ में कब्जा किये जा  चुके हैं. उपरोक्त ३० करोड़ गोवंश ४ टन प्रति वर्ष की दर से १२० करोड़ टन गोबर और ८० करोड़ किलो लीटर गोमूत्र प्रदान करता है. यह मात्रा लो की देश के विकास में सहायक होनी चाहिए आज पर्यावरण की समस्या बन गयी है ग्राम- शहर की नालिओं से बह कर क्षेत्र के जलाशयों, और नदिओं के जल स्तर को ऊँचा करती जा रही है. यह दीवानगी भरा मूक प्राणी संहार आज पर्यावरण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, रोजगारविकास , स्त्रीशक्ति, ग्रामीण विकास को तहस नहस कर रहा है. 
  अगर इस गोवंशशक्ति को उपयोग में लाया जाये तो १२० करोड़ टन गोबर ५०,००० करोड़ का प्राकृतिक उर्वरक, ३५,००० करोड़ की १०,००० करोड़ यूनिट बिजली और एक बैल ८ अश्वशक्ति ८० करोड़ अश्व शक्ति के सामान  बैलशक्ति देश की ग्रामीण विद्युत्, इंधन और पेय जल समाश्या का निदान है. 
बैल शक्ति का कृषि, सिचाई, परिवहन, अन्य कल कारखानों को चलने में उपयोग ग्रामीण बेरोजगारी समाप्त कर ग्राम विकास की धुरी बन भूतपुरी राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी की कल्पना 'पूरा' ( ग्राम में शहर की सुविधा ) प्रदान कर सकता है.
कृषक और गोपालक की लागत में कमी लाकर, कृषि को लाभदायक बनाते हुए हमारा गोवंश देश की अर्थ व्यवस्था में  अशीम योगदाता बन सकता है. पचासिओं वस्तुओं के  निर्माण का साधन, अगर राज्य और केंद्र सरकारें, इस और तनिक ध्यान दे दें तो ग्रामीण उद्योग, देश की अर्थ व्यवस्था में खरबों रुपैये का योगदाता बन सकता है. 
बीसिओं वस्तुएं, जैसे, साबुन, शेम्पू, फिनियाल, धूप, अगबती, रंग रोगन, कीमती टायल, प्लाई बोर्ड, मूर्ति, कागज, उर्वरक, किटनियंत्रक, १७० रोगों की रोकथाम दवाईयां, मछर नियंत्रक तेल, कोइल और तो और गोकोला, गोज्योती जैसी विभिन्न दैनिक जरुरत में कम आने वाली वस्तुएं जो की विभिन्न विदेशी महा कंपनियो द्वारा विज्ञापन के जोर से जन मानस में जहर की तरह घुटी जा रही हैं, उन्हें ग्राम ग्राम में बना कर लाभप्रद गोवंश उद्योग मै जोड़ कर गोबरसे  रु.५ और गोमूत्र और गोमूत्रसे  रु. २०  प्रति लिटरके दाम प्राप्त कर गोपालक को समृद्ध और गोवंश में बढ़ोतरी की जा सकती है .
मुझे प्रेरणा मिली और देश का पृथम गोवंश आधारित उद्योग गोवर्धन ओरगेनिक लिमिटेड  आज लगभग ५०,००० किलो गोबर और ५००० लिटर गोमूत्र उपयोग क्षमता के साथ पार्टिकल बोर्ड , फिनायल, हस्त प्रक्षालन पावडर गोमूत्र अर्क, आदि का सफलता पूर्वक उत्पादन कर रहा है, केवल  गोवंश  ही  नही पर्यावरण में योगदान देते हुए प्रतिवर्ष लगभग १,००,००० वृक्षों की रक्षा करेगा.
अगर पूर्ण गोवंश द्वारा प्रदित गोबर गोमूत्र का लेखा करे तो करोड़ो वृक्षों की रक्षा का यह साधन है.
कुछ सम्भावित उद्योगों की सूची निम्न प्रकार है 
साथिओं, आपने ओजोन परत के विषय में पढ़ा होगा कार्बन क्रेडिट के रूक में अगर हम एक टन कोयले, तेल इंधन की बचत करते हैं तो विदेशी कम्पनिओं  से  लगभग डॉलर १५-१६ प्राप्त  होते हैं. इस प्रकार के उद्योग लगाये जाने तो १२० करोड़ टन गोबर हमे १८०० करोड़ डॉलर यानी ९०,००० करोड़ रूपया विदेशी मुद्रा लाने में सहायक हो सकता है 
रास्ट्रीय और प्रांतीय सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों में गोवंश जुड़ा हुआ है आपकी जानकारी के लिए कुछ विभाग निम्नलिखित हैं
गोवंश विकास प्रकोस्ट यह सभी जानकारियाँ आपके माध्यम से देश के कोने कोने में पहुंचा कर सर्वहारा के रोजगार, सुन्दर जीवनयापन, स्वास्थ्य की कल्पना करते हुए भा ज पा का सन्देश हर घर में पंहुचा सकता है.
आईये हम आज से ही जूट जाएँ और 
१. जहाँ जहाँ भी भा ज पा और हमारी संयुक्त सरकारे हैं गोबध बंदी को कठोरता पूर्वक लागु करवा कर उदाहरण पेश करें केन्द्रीय और प्रांतीय सरकारों पर दबाव बना कर पूर्ण गोवंश हत्याबंदी बंदी और अवैधानिक कसायिखानो को रुकवाएं. 
2. केन्द्रीय एवम राज्य सरकारों से २०११ के बजट में विभिन्न योजनाओं में  गोवंश आधार शामिल करने का प्रयास करें 
3. केन्द्रीय और राज्य सरकारों को गोवंश आधारित उद्योग स्थापना में प्रोत्साहन देने का अनुरोध करें.  
4. हर जिले में  कामधेनु अरण्य के निर्माण का प्रयास करें मैं इस प्रयास को अटल गो वन योजना का नाम देते हुए परम पूजनीय अटल को समर्पित करना चाहता हूँ. 
5. विदेशी नस्ल से गर्भाधान बंद हो और देसी  नस्ल सुधार को प्रोत्साहन हो करें .
6. चारागाह क्षेत्रो की सूची बना कर जिला प्रशासन को उसे विम्मुक्त करवा गोपालक, गोशाला व् कृषक को चारा उगाने को दिलवाने का प्रयास करें
7. जैविक खाद और कीटनियंत्रक के विक्रय और केंद्र और राज्यों से छूट का अनुरोध करें 
8. गोवंश आधारित उद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना, राजकीय विभिन्न अनुदान, कर रियायतें २०११ के बजटों का भाग बने
9. आदर्श ग्राम योजना जिसमे जैविक कृषि, गोवंश आधारित उद्योग, बैल चालित उपकरण उपयोग में ला कर जल, इंधन, विद्युत्, परिवहन, उर्वरक, किट नियंत्रक, दुग्ध और इसके उत्पाद प्रारंभ कर  पूर्ण ग्राम उत्थान कर दिखाएँ.
१0. हर तहसील में गोशाला, नंदीशाला, वर्षभशाला  हो जो आत्मनिर्भरता कार्य करे गोवंश नस्लसुधार कर देश के गोवंश को स्वास्थ्य, सुद्रढ़ और  सम्पन्न बनायें.
साथिओं, मुझे पूर्ण विश्वास है क़ि अगर हम आज कमर कस लें तो यक़ीनन, देश के हर गाँव, हर शहर में हम गोवंश विकास की धरा बहा देंगे हमने ८.५ करोड़ हस्ताक्षर दिए और अगर हम इन गोभ्क्तों को मत दाता के रूप में परिवर्तित कर सकें तो  मुझे पूर्ण विश्वास है की हम गोवंश की रक्षा, संवर्धन, ग्राम विकास, मानवसेवा के उच्चतम मानकों को स्थापित करते हुए हमारे माननीय अध्यक्ष श्री नीतीन गडकरी जी द्वारा दिए गये लक्ष्य -१०% मतों की बढ़ोतरी- को अवश्य पूरा ही नहीं पार  कर  २०१४ में गोमाता के आशीर्वाद से केंद्र में कमल लहरायेंगे 
जय गोमाता, जय भारत 
आपका साथी डॉ. श्री कृष्ण मित्तल