शनिवार, 10 अप्रैल 2010

गोवंश आधारित विश्व का प्रथम पार्टिकल बोर्ड उद्योग

गोवंश आधारित विश्व का प्रथम पार्टिकल बोर्ड उद्योग


गोवंश हमारे देश की संस्कृति का आधार, ग्रामीण विकास- कृषि, यातायात, जल सिचाई, स्वास्थ्य, कुटीर उद्योग का साधन है जो औच्चे लालच और षड्यंत्र में अनुपयोगी, भार कह कर कसाई को बेचा जा रहा है. विभिन्न चर्चाओं मे गोवंश रक्षा में मुख्य समस्या आर्थिक सवालम्बन और किस प्रकार गोवंश और गोपालक को पालन के लिए अर्थ प्राप्ति हो का विषय चर्चित रहता था. रक्षण के उपाय और प्रयत्नं सफल नहीं हो पा रहे थे. गाय का महिमा मंडन उसे बचाने में सफल नहीं हो पा रहा था . एक सोच उभरा कि गोबर और गोमूत्र को उद्द्योगिक माल के रूप में में लाया जाये और उस के उचित दाम गोपालक को मिलें तो वह गोवंश और निजी पालन कर सकेगा और गोवंश कसाई के हाथो में जाने से बचाया जा सकेगा .
माननीय श्री अशोक जी सिंघल जी ने इस ही कल्पना को लेकर देवलापार महारास्ट्र में गो अनुसन्धान केंद्र श्री श्याम बल्लाल जी के द्वारा स्थापना की और भाई सुनील मानसिंघका की अथक मेहनत ने पुरे विश्व को गोमूत्र और गोबर की महिमा स्थापित कर दिखाई पितृतुल्य माननीय श्री ॐ प्रकाश जी की भागीरथ साधना ने विभिन्न वस्तुओं के निर्माण में गोमूत्र और गोबर के उपयोग को उद्योगपतिओं के सामने रखा और मुझे मथुरा में पार्टिकल बोर्ड के उद्योग की स्थापना का आदेश दिया .
इस से पूर्व देश के लगभग २० उद्योग पार्टिकल बोर्ड बनाने में रत्त थे और आज भी हैं परन्तु गोबर का इसमें उपयोग एक कल्पना ही था .दिपावली के पश्चात नवम्बर २००८ में की मैसूर से आकर उद्दोगिक क्षेत्र मथुरा में गोवर्धन उद्योग की नीव रखी गयी, विभिन्न संयंत्रों की स्थापना हुयी और एक स्वप्न जो १६ दिसम्बर २००८ को पूजनीय स्वामी रामानंद जी और माननीय श्री ॐ प्रकाश जी के सानिध्य और आशीर्वाद औरभा.जा.पा.गोवंश विकास परकोस्ट संयोजक श्री राधेश्यामजी गुप्त के कर कमलों से साकार हुआ और विश्व ने प्रथम बार गोबर द्वारा निर्मित पार्टिकल बोर्ड देखा.
गोबर द्वारा निर्मित पार्टिकल बोर्ड यानी कास्ट का, प्लाई का विकल्प, वृक्ष रक्षा द्वारा पर्यावरण का रक्षक, तथा उपभोक्ता के लिए अग्नि जल निरोधक, कीट, परमाणु विकरण से सुरक्षित, सस्ता, ठंडा, विद्दयुत अवरोधक, टिकाऊ, साथ में गोरक्षा का आयाम, उत्पाद प्रारम्भ किया गया
पृथम्त :४ फीट X ३ फीट आयतन का ८ मम से १२ मम मोटाई का बोर्ड बनना प्रारम्भ हुआ. लगभग ३०० बोर्ड प्रति दिन यानी ३६०० वर्ग फूट और वजन में लगभग ३६०० किलो जिसमे लगभग २,००० किलो सूखा गोबर, १५०० किलो गन्ने की खोयी ७०० किलो रसायन लगना प्रारम्भ हुआ. रु.२/- प्रति किलो से लगभग रु. ४,००० प्रतिदिन गोपालकों को जाने प्रारम्भ हुए. यह ३६०० वर्ग फीट त्यार माल रु. ६/- प्रति वर्ग फूट से रु. २१,६००/- की बिक्री देने लगा. रु. ४,००० के गोबर के अलावा रु. ३,००० की गन्ने की खोयी, रु. ७,७००/- का रसायन, रु.२,००० का कोयला,विद्दयुत, रु.१,००० की श्रमिक लागत आदि सभी जोड़ कर लगभग रु. ४,००० प्रतिदिन का लाभ दिखने लगा.
यह तो एक सुरुआत थी बाज़ार में बड़े आयतन यानी ८ फीट X ४ फीट की अधिक स्वीकारिता थी और मोटाई भी १८ एम् एम् , दरवाजों के लिए २६ एम् एम्, ३१,एम् एम् माँगा जाता था. हमने कमर कसते हुए बड़े संयंत्र की और कदम बढाया और शीघ्र ही लगभग रु. २.५० करोड़ की लागत से और गोवर्धन उद्योग को कंपनी का रूप देते हुए गोवर्धन अर्गेनिक्स प. लिमिटेड में दोनों आयतनो के उत्पादन का आयोजन किया. ३१ अक्तूबर २००९ को परम पूजनीय कर्श्नी श्री गुरुशर्नानंद जी और माननीय श्री ॐ प्रकाश जी के आशीर्वाद और सानिध्य में, आगरा क्षेत्र सांसद श्री राम शंकरजी कठेरिया और प्रदेश के माननीय कृषिमंत्री चोधरी लक्ष्मी नारायण जी के कर कमलों से इस संयंत्र का सुभारम्भ हुआ
यह संयंत्र प्रतिदिन ८ फीट X ४ फीट के 6०० यानी लगभग 19,००० फीट और ४' X ३' के ३०० यानी ३,६०० कुल लगभग २२,००० वर्ग फीट उत्पादन क्षमता का ६ एम् एम् से ५० एम् एम् की मोटाई तक का पार्टिकल बोर्ड निर्माण कर रहा है . गोबर के सन्दर्भ में विभिन्न आयतन, मोटाई और कडाई का संज्ञान लेते हुए लगभग १० से १५,००० किलो प्रतिदिन सूखा गोबर कार्य में आयेगा और यह उद्द्योग प्रतिदिन लगभग. ३०,०००/- गोपालक को दे पायेगा. यह उद्दयम वर्ष में ५०,००० वृक्षों को जीवनदान और १००० गोवंश को चारा देने में सक्षम होगा.
पार्टिकल बोर्ड बनाने में गोबर को सूखा कर पिसा जाता है और छान कर मृद्दा अलग कर दी जाती है, ऐसे ही गन्ने कि खोयी को सूखा कर पिसा जाता हैऔर मोटा बारीक़ अलग किया जाता है. रसायन का घोल फार्मलडिहैयड, युरीया व्अन्य रसायनों को स्टील की केटल में ताप देते हुए तैयार किया जाता है मिश्रण सयंत्र में गोबर, खोयी और रसायन को मिश्रित किया जाता है. इस मिश्रण को बाहर निकाल कर अलुमुनियम की चादर पर बीछा कर पूर्व प्रेस में दबाया जाता है . इस पूर्व प्रेस से मोटाई दब कर लगभग १/३ रह जाती है. इस दबे हुए को वास्प तापमान नियंत्रित और हाइड्रोलिक दाब वा ल प्रेस में एक बार में १० शीट रखी जाती हैं. पूर्ण नियंत्रित दाब और तापमान में तैयार होकर पार्टिकल बोर्ड बाहर निकलता है. इस की चारों दिशाओं को डी डी कटिंग से ८' X ४' में काट लिया जाता है. कटिंग को पुन: पीस लिया जाता है
इस के ऊपर विभिन्न उपयोगों के लिए,लेमिनेट, फील्म, विनिर, सीमेंट, रंग आदि उपभोक्ता की जरुरत अनुसार चढ़ा-लगा कर मूल्यवृद्धी के साथ बाज़ार में भेजा जाता है.
पार्टिकल बोर्ड आज देश के हर हिस्से में काम में लिया जा रहा है और विदेश से बड़ी मात्र में आयात हो रहा है. मुख्यत लकड़ी के सामान, ध्वनिबॉक्स, चित्रों के पीछे, खेल के सामान, दरवाजे खिड़की, विभाजन, रेल, बसों में संगीतयंत्र,विस्फोटक संग्रह, यानी जहाँ भी कास्ट और प्लाई का उपयोग होताहै उन सभी वस्तुओं में इस के अलावा गृह निर्माण में इस का उपयोग हो रहा है.
गोवर्धन ने गत वर्ष सरसंघचालक परम पूजनीय कुपा.सुदर्शनजी के कर कमलों से गोपूजा कर पूर्ण पार्टिकलबोर्ड निर्मित गृह रास्ट्र को अर्पण किया था.
गोवर्धन आर्गेनिक्स(प)लि.केवल बोर्ड ही नहीं गोमूत्र अर्क, फिनायल, तरल और पावडर हस्त प्रक्षालन, हवन समिधा, मछार भगाओ तेल आदि विभिन्न उत्पादन कर रहा है. गोवंश रक्षा में बढ़ते हुए मैसूर में गोवर्धन का विशाल उद्योग स्थापना की और बढ़ रहा है जिस में २,००,००० किलो सूखा किलो 3, ००,००० किलो गीला गोबर और १०,००० लीटर गोमूत्र प्रति दिन प्रयोग में कर प्रति दिन रु. ५.०० लाख यानी वर्ष में १५-१६ करोड़ रु. गोपालकों को प्रदान करने की क्षमता होगी. और १० लाख वृक्षों की रक्षा करेगा.
इस विषय में अन्य कोई जानकारी चाहें तो कृपया सम्पर्क करें
डॉ. श्रीकृष्ण मित्तल अध्यक्ष गोवर्धन ओर्गेनिक्स प. लिमिटेड
09980246400 gomata@in.com : gaumata.blogspot.com